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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः
न सूक्तं नापि ध्यानम् च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ २ ॥
ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
श्री महा लक्ष्मी अष्टोत्तर शत नामावलि
क्लींकारी काल-रूपिण्यै, बीजरूपे नमोऽस्तु ते।।
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
मनचाहा फल पाने के लिए ये पाठ कर रहे website हैं तो ब्रह्मचर्य का पालन करें. देवी की पूजा में पवित्रता बहुत मायने रखती है.
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः